UP News 2022: कीटनाशक रसायन विक्रेताओं उचित लेबल वाले कीटनाशकों का ही व्यापार करें

UP News 2022: UP Latest News| UP News Update| Lalitpur Latest News| Lalitpur News Update| Bundelkhan News| जनपद के समस्त कृषक भाईयों एवं कीटनाशक रसायन विक्रेताओं को सूचित किया जाता है कि कृषि विभाग उ0प्र0 के कृषि रक्षा अनुभाग द्वारा अवगत कराया गया है कि वनस्पति संरक्षण सलाहकार, भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संगह निदेशालय फरीदाबाद हरियाणा द्वारा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण की अधिसूचित प्रयोगशालाओं से प्राप्त कृषि खाद्य उत्पादों के कीटनाशी अवशेष परीक्षण परिणाम के डेस्क टाप सर्वे में कीटनाशकों के अवशेष, अवशेष कीटनाशी स्तर से अधिक पाये गये है।

कृषकों द्वारा कीटनाशकों के अन्धाधुन प्रयोग से मानव स्वास्थ्य पर पडने वाले दुष्प्रभाव तथा कृषि उत्पाद फाइटो सेनिटरी मानक के अनुरूप न होने के कारण फसलों खाद्य उत्पादों पर मानक के विपरीत प्रतिबन्धित एवं आँफ-लेबल कीटनाशकों का उपयोग पाया गया है। इस सम्बन्ध में समस्त कृषकों एवं कीटनाशी विक्रेताओं को एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन आधारित कृषि पध्दति अपनाने की आवश्यकता है। इस हेतु आईपीएम के अन्तर्गत सर्वप्रथम गर्मी में भूमि की गहरी जुताई करना, समूचित फसल चक्र अपनाना, कीटध्रोग प्रतिरोधी

प्रजातियों के बीजों की बुवाई करना, बीजों को बोने से पहले उपचारित करना, उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करना, उचित जल प्रबन्धन करना, समय पर फसलों की निराई-गुडाई करना, फसलों पर यदि कीट, रोग प्राकृतिक शत्रु के बराबर या अधिक मात्रा में हो तभी रसायनों का प्रयोग करना, नाशीजीव के अण्ड समूह एवं इल्लियों को प्रारम्भिक अवस्था में ही नष्ट करना, लाईट ट्रेप एवं फेरोमैन ट्रेप का उपयोग करना एव नाशीजीव के प्राकृतिक शत्रुओं की संख्या में वृद्धि करने के साथ ही कीट एवं रोगों के नियंत्रण एवं अधिक उत्पादन प्राप्त करने

के लिये गौ आधारित प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती को अपनाने के साथ ही ट्राईकोडर्मा हारजेनियम, ब्यूवैरिया बैसियाना, नीम आईल, ट्राईकोकार्ड, नाडेप कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, बीजामृत, जीवामृत, पंचगव्य, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, आदि का उपयोग कर कीट एवं रोगों के नियंत्रण के साथ ही रसायनों के प्रयोग को कम किया जा सकता है। कृषकों द्वारा इस प्रकार से प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती के साथ ही आईपीएम कृषि पद्धति अपनाने से फसलों में कीट एवं रोगों के नियंत्रण के साथ ही कृषि खाद्य उत्पादों को शुद्ध एवं उचित

गुणवत्ता का बनाते हुये मानव स्वास्थ्य के साथ ही भूमि एवं पर्यावरण को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। अतः जनपद के समस्त कीटनाशक रसायन विक्रेताओं को निर्देशित किया जाता है कि वह केवल संस्तुत एवं उचित लेबल वाले कीटनाशकों का ही व्यापार करें एवं अपनी दुकान के बाहर रेट बोर्ड, स्टाँक बोर्ड अवश्य लगायें। प्रत्येक कृषक को कैश मेमों अवश्य जारी करें साथ ही कृषकों को कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग के सम्बन्ध में आवश्यक प्रयोग विधिध्निर्देशों की भी जानकारी से अवगत करायें। यदि कोई कीटनाशक विक्रेता शासन द्वारा प्रतिबन्धित एवं आँफ-लेबल कीटनाशक रसायनों का व्यापार करते हुये पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कीटनाशी अधिनियम 1968 यथा संशोधित अधिनियम 1971 के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।

 

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